Sunday, June 1, 2014

माइक्रोफ़ोन से तुम्हारी सांस टकराती है जब,


1) मैनें डायरी के बीच से निकाला हुआ एक फूल उसे देते हुए कहा 
"देखो ऐसे कहीं मुरझा न जाना"
उसने कहा "मैं हमेशा तुम्हारे साथ हूं" 
और गिफ़्ट करते हुए एक घड़ी हाथ में पहना दी 
वक्त उस घड़ी की सुइयों में टिक टिक करता हंसता रहा |
वक्त अपनी झोली में कितना और कितनों को लेकर चला जाता है
रहने और रह जाने में कितना अंतर है ना !
जिन्दगी से कोई उम्मीद नहीं पर जिन्दगी अब भी उम्मीद से है


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2) कोई बेचैनी सी है, गिरते पड़ते चलना 
जैसे इस कैफ़ियत का कोई परमानेंट ऐड्रेस नहीं है 
रोकी हुई कोई नदी है 
गोया जैसे सोया है कोई जुनून 
सहमी हुई बगावत और ढर्रे ढर्रे चलता हुआ इमान ।
'इश्क' इस हाल का कहीं बेह्तर पता है 
'प्यार' नहीं इसमें ’तू’ तो है पर तेरा होना कोई जरूरी भी नहीं
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3)किसी किस्से का,
किसी बात का,
या फिर किसी गहरी चुप सी सांस का,
रिप्लाई ना भी करो तो चलेगा ।
इतना बहुत है की माइक्रोफ़ोन से तुम्हारी सांस टकराती है जब,
ग्राहम बेल को बहुत दिल से दुआ देता हूं मैं ।

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