Monday, February 8, 2016

अफवाह

1) मैं चल सकता था पर घर पे ही रहता था
कोर्ई नाम होता तुम्हारा, गर तुम होती |
जां से ज्यादा किस की कैफियत में उदास रहता,
इक यार है ये कमरा.
जिससे तुम्हारी शिकायत करता रहता हूँ।
हिज्र के स्टेटस बदलते रहते हैं
सीढ़ी पे जां मिलते ही
गिरा देती है कमर के बल
मैं घर पे ही रह सकता हूँ पर चलना चाहता हूँ ।



2)दीवार पे एक तितली बैठी है छोटी सी -खूबसूरत !
थोड़ी दूर 10 सेंटीमीटर पर एक मकड़ी
तितली की तरफ बड़ रही है - भयानक !
सोच रहा हूँ तितली को उड़ा दूं- दया !
पर उससे मकड़ी भूखी रह जाए , शायद भूख से मर जाए - असमंजस !!
मेरा कुछ भी करना या ना करना - दखल ।
तितली आप उड़ गयी - तितली के लिए खुश मकड़ी के लिए अफ़सोस।
मैं उड़ा, मैं बचा, मैं भूखा रहा, और मैं ही देख रहा हूँ-एकमात्र संभावना ।

3) गिरेबां से खींच के तोड़े हैं जो बटन तुमने 
काज में अब भी अटकते नहीं 
सुई ने सीना ही सिल दिया हो तो कोई क्या कीजे |

4) अफवाह उड़ा रहा हूँ, तुम तक पहुंचे तो छटंकी देना ।

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