१)कमर में
स्वेटर बांध, कुछ
मील कड़ी धूप में
मट्टी के टीलों के इस ओर, पतझड़ के पेड़ों के नीचे
छितरी हुई छांव के बीच
पानी की आखिरी दो घूंट बोतल में बचाए हुए
एक पैदल सफ़र का बकाया याद है ।
मैने तो लगता था कि जिन्दगी ठहर सी गई है
पर उसे शायद, लगता है ठीक ठीक यहीं पहुंचना था.॥
मट्टी के टीलों के इस ओर, पतझड़ के पेड़ों के नीचे
छितरी हुई छांव के बीच
पानी की आखिरी दो घूंट बोतल में बचाए हुए
एक पैदल सफ़र का बकाया याद है ।
मैने तो लगता था कि जिन्दगी ठहर सी गई है
पर उसे शायद, लगता है ठीक ठीक यहीं पहुंचना था.॥
२) पहला ही
रोजगार और घाटा ही घाटा
सौदा तुम पे हो यारों तो ऐसा न हो ।
सौदा तुम पे हो यारों तो ऐसा न हो ।
३)"कितनी ही
चम्मचें खोई है ,खाई हैं
मिर्चियां !
हर बार इक रोटी बचाई , किसके लिये ?
किसके लिये दाने रखे, जूठे चखे, किसके लिये ?
कभी चींटी से चीनी के भी सौदे किये , जिसके लिये !!"
हर बार इक रोटी बचाई , किसके लिये ?
किसके लिये दाने रखे, जूठे चखे, किसके लिये ?
कभी चींटी से चीनी के भी सौदे किये , जिसके लिये !!"
४)ट्रेन जब
कभी किसी मुड़े
हुए ट्रैक पे
खुद को पलट के देखती
है, सीटी बजाती
है !|
C1 की विंडो सीट पे कहीं तुम तो नहीं ?
C1 की विंडो सीट पे कहीं तुम तो नहीं ?
५)यही हासिल-ए-मुलाकात
रह गया
तुम सवा हो गई मैं पौना रह गया !!
तुम सवा हो गई मैं पौना रह गया !!
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