Monday, January 15, 2018

धूप

तुम कपड़े सुखाने छत पे  जाना
साथ ले जाना चादरें और रजाई
मत ले जाना तकिया
नमकीन सी खुशबू , कब कौन पहचान ले
फर्स्ट फ्लोर पे रहने वाले
अगरबत्तियां जलाते हैं दिन में
रूह को सीलन लग गई है
पचमंजली ईमारत के तहखाने में रहते हुए
मैं इस मई घर जाऊँगा
और ले आऊंगा तुम्हारी छत के टुकड़े
मन पे रख लेना 
जिन पर धूप लगी
वहाँ उग आती है दूब
कुछ सेक लगे मन को शायद
और फूट पड़ें कुछ हजारी के फूल 
ढटुए ही सही | 

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