Sunday, June 3, 2012

Letters still Pending


@Letters


जो औरों को लिखे ...सब गलत हाथों मे गए . ।
और खुद को जितनी भी चिट्ठीयां लिखी..एक भी नहीं मिली ।

!) ख्वाहिशें मरने को आ गई है.. अब भी प सुस्त ना हुई|
2)जिल्द भी चूहे कतर जाते है ..नेम चिट भी उल्टी चिपक गई है
पन्ने भी पलटते ..
गर तू इतनी मोटी ना होती रे...
जिन्दगी ! तुझे अल्मारी में सहेज के रखा है के जिस रोज अनपड़ हो जाएगें
तेरी भी सुनेंगे ।

3)दाड़िम के पेड़ के किसी छेद मे छुपाकर रखी हैं
अठन्नी गोल गोल बिल्कुल चांदी सी चमक रही है ।
अब इसको मिलाकर भी जिन्दगी ना मिले तो
सौदे में घाटा ही होगा मुझको ।

4)तेरी तस्वीर वालपेपर में थी जब..
शब लैप्टाप पर ही आंख लग जाती थी ।

5) चिट्ठीए नि... दर्द फ़िराक वालिये |
Sent Mails : 35
Inbox : 1
Drafts : 78

6) मुश्किल-ए-जिन्दगी
कोयल गा रही थी.. मैं देख रहा था ।

7)मै बातों के बीच के सन्नाटे मे व्यस्त था।
और मुहं टपटपाने से जो आवाजें...कहते है कि बड़ी बड़ी बातें निकली...
उन्हें सुनकर देर तक हंसा करते थे ।

8)सिरे से पढ़ी.... एक एक खबर,
चटखारा ले ले कर
चेहरे पे इश्तिहार छपा है - मुलतानी मिट्टी का ।

9)
तुम्हारे बारे में सब कुछ जाना .. पर तुम्हें नहीं ।
ये जाना के ये बिल्कुल दो अलग अलग बातें हैं ।
कि ये सब कुछ... .ये तुम तो नहीं ।

10)दो सिरो पे दिन सुलगता है...
हर सांस एक बुरी आदत है !

11)दूर के रिश्ते में ये मेरी मुस्कुराहट लगती है ,आज फिर बिन बुलाए मेहमान हो गई है ।
बड़ी बात तो नहीं
कि जवाब अक्सर आता है...
हां नहीं आता .. तो ना भी तो नहीं आता ।

12)
शहद कितना मीठा होता है ना !
शहद कहां मीठा होता है रे.. मीठा तो गुड़ हुआ करता है !
तो शहद कैसा होता है ?
तुम्हारे जैसा !


13)
Revelataion

चलो माना
जो मिला है ... उसके बदले जिन्दगी दी जा सकती है
पर जो नहीं मिला.... क्या देकर उसका अहसान चुका पाउंगा !

The miracle of giver was in what he didn't gave....
मटकी जो फूटी... पानी भरने का झंझट ही गया !

14)
मैने तुम्हे देखा और तु्म पहली बार खूबसूरत हुई,
उसके बाद जब जब मैने तुम्हे देखा , तब तब तुम खूबसूरत हुई |
पर क्या इसके अलावा भी तुम खूबसूरत थी ?
मुझे क्या पता, मैने तो देखा ही नहीं !

P.S : दुनिया मेरे होने से तो पता नहीं पर मेरे होने के लिये ही है.!

15)
मिट्टी से सने कप्ड़े पहने और पानी सीधे नल से पिया था कल,
बिजली के बिना कुछ दिन रहा तो याद भी नहीं रहता के जिन्दगी बड़े वक्त से अन्धेरे में गुजरती आयी थी ।
इतना आसान है भूल जाना, पता होता तो !
याद करने और याद दिलाने में जाया हुआ वक्त जिया होता तो....

16)
कितने में मिलेंगे भात के अन्तिम सीते.. चावल की खीर,.... बेतक्क्लुफ़ी से इतना खाना की कुछ ना कुछ रह जाए.. भूख में भी और थाली में भी..

17)
सिर्फ़ वे ही अक्षर जिन्हें मैने सुना है... तुमने गाए थे ? .. जिस बीच मैं कहीं विचारो मे खो गया था.. गीत रोक दिया था तुमने?
मैने कई बार सुना...चिरपरिचित कोई हमेशा गाता रहता है.। न जाने क्यों मेरे भी होंठ कांपते से लगते है । सुबकती शहनाई भी बजती रहती है ... खिलखिलाती खामोशी भी । गाने वाले ने सुनने वाले के लिये गाया होगा.. जाने क्यों मेरे होंठ कांपते से लगते है ।

18)
"कितनी ही चम्मचें खोई है ,खाई हैं मिर्चियां !
हर बार इक रोटी बचाई , किसके लिये ?
किसके लिये दाने रखे, जूठे चखे, किसके लिये ?
कभी चींटी से चीनी के भी सौदे किये , जिसके लिये !!"

19)
देखो ! उगाई गई फ़सल सुखाई जाती है,
सुखाए हुए बीज बोये जाते हैं ।ये मिलने और बिछड़ने का नैसर्गिक सिद्दांत है ।

3 comments:

  1. Letters still pending keep us alive...!
    This is a beautiful post that reveals that totality is not the prerequisite for meaningfulness...
    अब चाँद भी तो आधा ही होता है कई बार... पर फिर भी सुन्दर होता है न...!
    मिलने बिछड़ने के नैसर्गिक सिद्धांत की बात पर विराम लेती सुन्दर पोस्ट!
    अभी लिखते हुए यहाँ कमेन्ट बॉक्स के ऊपर लिखा हुआ दिखा:-
    "सफ़ेद स्याही से लिख के ना चले जाना.. मै नहीं समझ पाता"
    That's really sweet!

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    1. its a collection of facebook updates...
      टुकड़े का चांद पूरे चांद से कहीं ज्यादा पूरा होता है ।

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  2. excellent....................
    loved ur writing...........

    anu

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