Saturday, May 25, 2019

ठठंवाणी

तुम्हारे गुजरने से जो खुशबू कमाल आई है

यूं के जैसे

पड़ोस की आमा के चूल्हे में ठठंवाणी उबाल आई है

मैं तिरे पींछे उस दिन भी खड़ा था

उसी दिन

जिस दिन तेरी झोली में जीरे का तड़का पड़ा था

तिरी जुल्फ़ों में आटे का जो गुबार उड़ के आया था

तुझे दिखाता

उस रात मेरी रो्टी मे पलथन सवा ग्राम जुड़ के आया था

ठेले पे तू जों सहेली को फ़ूंक फूंक के खिलाएगी समोसे

हार मरा कि

बिना पूरी के पानी आएगा मिरे लबों से

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